Tuesday 16 October 2012

नए बैंकों को लाइसेंस देने की जल्दी में सरकार


नए बैंकों को लाइसेंस देने की जल्दी में सरकार

 आर्थिक सुधारों को रफ्तार देने में जुटी सरकार नए बैंकों को लाइसेंस देने के लिए बैंकिंग अधिनियम में संशोधन का इंतजार करने के हक में नहीं है। सरकार कम से कम नए बैंकों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू कर देना चाहती है, ताकि संशोधन के बाद उसे अमली जामा पहनाने में देरी न हो। कई बड़ी निजी कंपनियां बैंकिंग क्षेत्र में उतरने की तैयारी में हैं।


सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने मंत्रालय के अधिकारियों से इस प्रक्रिया को तेज करने को कहा है। चिदंबरम आर्थिक सुधारों के मामले में उन सभी क्षेत्रों में प्रक्रिया संबंधी रफ्तार बढ़ाना चाहते हैं, जिनमें संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं है। हालांकि, इस विकल्प के तहत नए बैंकों के लाइसेंस पर अमल तभी हो पाएगा, जब बैंकिंग अधिनियम में संशोधन हो जाएगा।


वित्त मंत्रालय के अधिकारी नए बैंकों के लाइसेंस के मामले में एक अन्य विकल्प पर भी काम कर रहे हैं। इसके तहत बिना बैंकिंग अधिनियम में संशोधन किए रिजर्व बैंक को लाइसेंस जारी करने का अधिकार देने के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। कंपनी अधिनियम का रास्ता भी अख्तियार किया जा सकता है। नए बैंकों को कंपनी अधिनियम के तहत स्थापित कर उन्हें रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के दायरे में लाने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है।


सरकार लंबे समय से बैंकिंग क्षेत्र में नए निजी बैंकों को लाइसेंस देने की कोशिश में है। प्रणब मुखर्जी के वित्त मंत्री के कार्यकाल में इसका एलान किया गया था। रिजर्व बैंक नए बैंकों के लिए दिशानिर्देश भी जारी कर चुका है। लेकिन, मौजूदा स्थिति में बैंकिंग अधिनियम में संशोधन के बिना ऐसा करना संभव नहीं है। इस अधिनियम को शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना है। हालांकि, मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए इसके पारित होने की संभावनाएं कम ही हैं। यही कारण है कि वित्त मंत्रालय बिना संशोधन के नए लाइसेंस जारी करने का रास्ता निकालने के प्रयास में है।
सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्रालय नए बैंक की शुरुआत करने के लिए आवश्यक 500 करोड़ रुपये की पूंजी के नियम में भी ढील देने के हक में है। इससे देश में छोटे बैंक शुरू किए जा सकेंगे। निजी क्षेत्र के कई बड़े समूह जिनमें टाटा, आदित्य बिड़ला, एडीएजी, एलएंडटी, रेलीगेयर शामिल हैं, नए बैंक लाइसेंस लेने की कतार में लगे हैं। फिलहाल, देश में 26 सरकारी बैंक, 40 निजी व विदेशी बैंक और 13 पुराने निजी बैंक काम कर रहे हैं। इसके बावजूद देश में वित्तीय समावेश के लक्ष्यों को पाने के लिए नए बैंकों की जरूरत महसूस की जा रही है।

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